Bihar Land servey: बिहार में जितने जोर-शोर से लैंड सर्वे का काम शुरु किया गया, अब उसपर सवाल भी उतनी ही तेजी से उठने लगे हैं. राज्य में चल रहे भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को लेकर अब सवाल उठने शुरु हो गए हैं. सर्वेक्षण पर सवाल पटना हाइकोर्ट के वकीलों ने उठाने शुरु किए हैं.वकीलों का दावा है कि इस जमीन सर्वे के नाम पर लोगों को बस आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. इन सब के बीच भूमि सर्वेक्षण को लेकर एक नया आदेश भी जारी कर दिया गया है. यह आदेश जमाबंदी को लेकर है.
क्या है आदेश?
जारी किए गए आदेशों के अनुसार अगर जमाबंदी ऑनलाइन करने में परेशानी हो रही है तो इसे ऑफलाइन भी किया जा सकता है. ऑनलाइन जमाबंदी में अगर त्रुटि में सुधार नहीं हो पा रहा है या इसमें देरी हो रही है तो अंचलों में लगाए गए शिविर में ऑफलाइन माध्यम से कागजात दिखाने से काम हो जाएगा. जारी आदेश के अनुसार अगर किसी रैयत ने जमाबंदी या खतियानी से जमीन खरीदी है और दाखिल खारिज नहीं कराई है तो भी कागजात दिखाने पर उसका सर्वे किया जा सकेगा. इससे रैयतों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी.
वापस लेने की मांग
हाई कोर्ट के वकीलों ने इस सर्वे को वापस लेने की मांग की है. इस बात को कहते हुए उन्होंने कई कारण गिनाए हैं. वकीलों के अनुसार, जमीन मालिकों से कागजात मांगे जा रहे हैं लेकिन सरकार के पास हजारों एकड़ जमीन के कागजात नहीं हैं. ऐसे में पहले सारे कागजात दुरुस्त कर उन्हें अपडेट कर भूमि सर्वे का काम किया जाना चाहिए. कुछ जमीनों की बिक्री हो चुकी है लेकिन फिर भी खतियान के नाम पर दावा ठोका जा रहा है. ऐसे में जमीन पर किया गया दावा फर्जी साबित होगा और विवाद बढ़ेगा. वकीलों के अनुसार यह कदम जल्दबाजी का है और इसे फिलहाल स्थगित करना चाहिए.
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